5 Simple Techniques For hindi story
5 Simple Techniques For hindi story
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चेतना लौटने लगी। साँस में गंधक की तरह तेज़ बदबूदार और दम घुटाने वाली हवा भरी हुई थी। कोबायाशी ने महसूस किया कि बम के उस प्राण-घातक धड़ाके की गूँज अभी-भी उसके दिल में धँस रही है। भय अभी-भी उस पर छाया हुआ है। उसका दिल ज़ोर-ज़ोर से धड़क रहा है। उसे साँस अमृतलाल नागर
As we embark with a literary odyssey, we dig to the enchanting entire world of Hindi fiction textbooks, celebrating the brilliance of storytellers which have crafted tales that transcend time and Area. With the eloquence of Premchand’s poignant realism to the fashionable-working day Hindi poetry by Harivansh Rai Bachchan, Hindi literature has consistently developed, charming readers with its capacity to mirror Modern society and articulate the complexities of your human soul.
भावी और मूर्ति को उनके अंतिम संस्कार के लिए ले जाया गया, जब मूर्ति अचानक उठे और चिल्लाए “मैं दो लड्डू से खुश हूं।” बाद में उन्होंने पूरी कहानी ग्रामीणों को बताई। तभी से मूर्ति को गांव में “लड्डू भिखारी” नाम दिया गया।
बहुत-से लोग यहाँ-वहाँ सिर लटकाए बैठे थे जैसे किसी का मातम करने आए हों। कुछ लोग अपनी पोटलियाँ खोलकर खाना खा रहे थे। दो-एक व्यक्ति पगड़ियाँ सिर के नीचे रखकर कम्पाउंड के बाहर सड़क के किनारे बिखर गए थे। छोले-कुलचे वाले का रोज़गार गर्म था, और कमेटी के नल मोहन राकेश
सबसे अच्छा घर – The Best Property Of All Hindi – A guide that can inspire and train long term architects about diverse kinds of houses and what sorts of houses are suited for a certain area.
गोपाल अपनी पत्नी के साथ दोपहर में आराम कर रहा था। पर उसके बेटे हरी को नींद नहीं आ रही थी। दरअसल हरी की स्कूल की छुट्टियां चल रहीं थी और उसके सारे दोस्त कहीं न कहीं घूमने चले गए थे। हरी घर में रहते रहते ऊब गया था। हरी ने अपनी माँ को जगाया और उनसे मिठाई खाने जाने के लिए पैसे मांगे। पर उसकी माँ उसकी बात टाल के फिर से सो गयी। हरी ने अपने पिता गोपाल से भी पैसे लेने की कोशिश करी पर निराशा ही हाथ लगी।
बहुत-से लोग यहाँ-वहाँ सिर लटकाए बैठे थे जैसे किसी का मातम करने आए हों। कुछ लोग अपनी पोटलियाँ खोलकर खाना खा रहे थे। दो-एक व्यक्ति more info पगड़ियाँ सिर के नीचे रखकर कम्पाउंड के बाहर सड़क के किनारे बिखर गए थे। छोले-कुलचे वाले का रोज़गार गर्म था, और कमेटी के नल मोहन राकेश
संत से कहा – आप जानते हैं बिच्छू का स्वभाव नुकसान पहुंचाने का होता है।
वह गाय इतनी प्यारी थी, मोती को देखकर बहुत खुश हो जाती ।
दोनों में भयंकर युद्ध हुआ पर अंत में सब धरती वासियों ने इतनी जोर से नगाड़े और ढोल बजाये की मेंढक डर कर भाग गया और का-संगी जीत गई। इसीलिए आज भी उस प्रजाति के लोग सूर्य ग्रहण पर ढोल नगाड़े बजा कर सूर्य की मदद करते हैं।
(एक) रज्जब क़साई अपना रोज़गार करके ललितपुर लौट रहा था। साथ में स्त्री थी, और गाँठ में दो सौ-तीन सौ की बड़ी रक़म। मार्ग बीहड़ था, और सुनसान। ललितपुर काफ़ी दूर था, बसेरा कहीं न कहीं लेना ही था; इसलिए उसने मड़पुरा-नामक गाँव में ठहर जाने का निश्चय किया। वृंदावनलाल वर्मा
लेकिन तब ठीक यही तर्क अपने अंतिम समय तक उसी लिपि में लिखनेवाले मुंशी प्रेमचंद पर भी लागू होता है. प्रेमचंद और मंटो दोनों हिंदी-उर्दू कथा साहित्य के अनमोल धरोहर हैं.)
गाय को अपनी ओर आता देख सभी लड़के नौ-दो-ग्यारह हो गए।
एक बार भैंस तालाब पर पानी पीने आई थी। भैंस का पैर विशाल पर पड़ गया था। फिर भी विशाल को नहीं हुआ। उसकी जान कवच से बची थी। उसे काफी खुशी हुई क्योंकि बार-बार उसकी जान बच रही थी।